बुधवार सुबह जब इस सदी का सबसे लंबा और पूर्ण सूर्यग्रहण होगा तो भारत में कुछ लोग हवाई जहाज़ में सवार होकर इसका नज़ारा देख रहे होंगे और कुछ ज़मीन पर इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने की कोशिश में होंगे.
इतना लंबा सूर्यग्रहण दोबारा 123 साल बाद होगा. पूर्ण ग्रहण भारतीय समय के मुताबिक सुबह छह बज कर 23 मिनट से देखा जा सकेगा और इसे देखने के लिए बेहतरीन जगह है पटना के पास का तरेगना गाँव जहाँ यह ग्रहण तीन मिनट 48 सेकेंड के लिए नज़र आएगा.
लेकिन बरसात का मौसम है और घटा का ख़तरा, लिहाज़ा खगोलीय शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले संगठन स्पेस ने इस मौके पर एक हवाई जहाज़ किराए पर लिया है.
संगठन से संबंध रखने वाले अमित वर्मा कहते हैं कि ज़्यादातर सीटें बुक हो चुकी हैं.
इस जहाज़ पर ऐसे बहुत कम लोग हैं जिन्हें पहले से खगोलीय ज्ञान का शौक है. बहुत से फोटोग्राफ़र हैं और ऐसे लोग भी जिन्हें नई चीज़ें आज़माने का शौक है.
अमित वर्मा
वो कहते हैं, "इस जहाज़ पर ऐसे बहुत कम लोग हैं जिन्हें पहले से खगोलीय ज्ञान का शौक है. बहुत से फोटोग्राफ़र हैं और ऐसे लोग भी जिन्हें नई चीज़ें आज़माने का शौक है."
इस जहाज़ पर अगर आप खिड़की के पास बैठना चाहें तो टिकट 81 हज़ार रूपए का है लेकिन बाक़ी सीटें 29 हज़ार से शुरु होती हैं.
ये जहाज़ दिल्ली से उड़ान भरने के बाद गया के ऊपर सैलानियों को सूर्य ग्रहण का नज़ारा दिखाएगा.
अमित कहते हैं, "41 हज़ार फुट की ऊंचाई का मतलब ये है कि आप बादलों से ऊपर उड़ान भर रहे होंगे और जब सूरज अंधेरे में डूबेगा तो बदली छाने की कोई बाधा आड़े नहीं आएगी."
ज़मीन पर तैयारी
ये तो हुई आसमान की बात. ज़मीन पर क्या हो रहा है? सूर्यग्रहण के दौरान बहुत से मंदिरों के दरवाज़े श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे.
दिल्ली के प्राचीन हनुमान मंदिर के पुजारी पंडित श्रीरामनंदन झा कहते हैं, "ग्रहण के वक्त देवी देवताओं की शक्ति कम हो जाती है. ग्रहण के बाद उन्हें दोबारा स्नान करा कर भोग कराया जाएगा जिसके बाद ही मंदिरों के पट फिर खोले जाएंगे."
सूर्यग्रहण
दिल्ली के अधिकतर मंदिर ग्रहण के दौरान बंद रहेंगे
ज्योतिषियों का भी ख़याल है कि सूर्यग्रहण अच्छी ख़बर नहीं है. दिल्ली में ज्योतिषियों के संगठन के अध्यक्ष अरुण बंसल के मुताबिक जहां कहीं भी ग्रहण नज़र आएगा वहां नुकसान होगा.
वो कहते हैं, "इस बार भारत में ग्रहण ज़्यादा नज़र आ रहा है. इसलिए यहां प्राकृतिक विपदाओं और दुर्घटनाओं की आशंका रहेगी और इसमें किसी बड़े नेता का निधन भी हो सकता है. इसके अलावा सूर्य ग्रहण के पंद्रह दिनों बाद भूकंप आने का ख़तरा भी होगा."
ज्योतिषियों की भविष्यवाणी कहां तक सच साबित होगी ये तो कोई नहीं जानता लेकिन अगर आपने सूर्यग्रहण देखते समय पर्याप्त एहतियात नहीं बरती तो आँखों को काफी नुकसान पहुँच सकता है.
अंतरिक्ष अनुसंधान के अमरीकी संगठन नासा के अनुसार ग्रहण देखने का सबसे सस्ता और सुरक्षित तरीका ये है कि इसे सीधे देखने की बज़ाए इसका प्रतिबिंब देखा जाए.
सीधे देखने के लिए स्पेशल फिल्टर का इस्तेमाल करना ज़रूरी है ताकि सूरज की हानिकारक किरणों के प्रभाव से बचा जा सके.
Posted by Gaurav Shukla at 6:40 AM
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